1.सरकारी बैंकिंग लेन देनों के संचालन से संबंधी भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका क्या होती है ?
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 20 की शर्तों में रिज़र्व बैंक को केन्द्रीय सरकार की प्राप्तियां और भुगतानों और विनिमय, प्रेषण (रेमिटन्स) और अन्य बैंकिंग गतिविधियां (आपरेशन) जिसमें संघ के लोक ऋण का प्रबंध शामिल है, का उत्तरदायित्व संभालना है । आगे, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 21 के अनुसार रिज़र्व बैंक को भारत में सरकारी कारोबार करने का अधिकार है ।
अधिनियम की धारा 21 ए के अनुसार राज्य सरकारों के साथ करार कर भारतीय रिज़र्व बैंक राज्य सरकार के लेन देन कर सकता है । भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब तक यह करार सिक्किम सरकार को छोड़कर सभी राज्य सरकारों के साथ किया है ।
2. भारतीय रिज़र्व बैंक, ‘सरकार का बैंकर’ के रुप में अपना सांविधिक उत्तरदायित्व कैसे निभाता है ?
भारतीय रिज़र्व बैंक, उसके केन्द्रीय लेखा अनुभाग, नागपुर में केन्द्र और राज्य सरकारों के प्रमुख खातें रखता है । भारतीय रिज़र्व बैंक ने पूरे भारत में सरकार की ओर से राजस्व संग्रह करने के साथ साथ भुगतान करने के लिए सुसंचालित व्यवस्था की है । भारतीय रिज़र्व बैंक के लोक लेखा विभागों और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 45 के अंतर्गत नियुक्त एजेंसी बैंकों की शाखाओं का संजाल सरकारी लेनदेन करता है । वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र की सभी बैंक और निजी क्षेत्र की तीन बैंक अर्थात आईसीआईसीआई बैंक लि., एचडीएफसी बैंक लि. और एक्सिस बैंक लि., भारतीय रिज़र्व बैंक के एजेंट के रुप में कार्य करते हैं । केवल एजेंसी बैंकों की प्राधिकृत शाखाएं सरकारी लेनदेन कर सकती हैं ।
3. सरकारी खातों में भुगतान कैसे किया जाता है ?
सरकारी खाते में जमा करने के लिए प्राप्त सभी राशियां जैसे टैक्स और अन्य प्रेषण संबंधित सरकार / विभाग के चालान भरकर किया जाता है । चालान निर्धारित राशि (नकद के रुप में / चैक / डीडी) के साथ प्राधिकृत बैंक शाखाओं मे जमा करने होते हैं ।
4. सरकारी खाते में भुगतान के लिए रसीदी चालान कब उपलब्ध कराए जाते हैं ?
सामान्यत: नकद राशि लेने संबंधी मामले में रसीदी चालान शीघ्र ही काउंटर पर विप्रेषक को सौंप दिये जाते है। चैक / डीडी से भुगतान किए जाने पर समाशोधन के पश्चात वसूली (रियलाइझेशन) होने पर रसीदी चालान जारी किए जाते है । ऐसे सभी मामलों में जमाकर्ता को पेपर टोकन जारी किया जाता है जिसमें रसीदी चालान सुपुर्दगी की तारीख दर्शायी जाती है । रसीदी चालान, पेपर टोकन में दर्शायी गई तारीख से 15 दिनों में, पेपर टोकन को जमा(सरेंडर) कर प्राप्त कर लेना चाहिए ।
5. अगर पेपर टोकन खो गया तो क्या होगा ?
मूल पेपर टोकन खो जाने के मामले में, विशेष अनुरोध पर निर्धारित शुल्क अदा कर रसीदी चालान जारी किया जाता है ।
6. अगर रसीदी चालान खो गया, तो क्या किया जाए ?
किसी भी स्थिति में डुप्लिकेट चालान जारी नहीं किया जाएगा । इसके बदले, विशेष अनुरोध पर आवश्यक विवरणों के साथ आवेदन करने पर और निर्धारित शुल्क का भुगतान करने पर ‘सर्टिफिकेट आफ क्रेडिट’ जारी किया जाएगा ।
7. सरकार द्वारा जारी चैक मार्ग में अगर कही खो गया है तो इसके लिए क्या उपाय किया जाएगा ?
चैक पाने वाले को चाहिए कि चैक जारीकर्ता प्राधिकारी से संपर्क करें और डुप्लिकेट चैक जारी करने के लिए आवदेन करें जिसमें इसका विस्तृत विवरण दें कि मूल चैक कैसे खोया अथवा गुम हुआ । स्वयं का समाधान हो जाने पर चैक काटने वाला आदाता बैंक (पेई बैंक) को एक पत्र जारी कर खोए चैक के विरुद्ध स्टोप पेमेन्ट रिकार्ड करने का अनुरोध कर सकता है । इसके बाद बैंक यह देखता है कि चैक का भुगतान तो नही हुआ है । अगर भुगतान नहीं हुआ है तो चैक की वैधता खत्म होने तक स्टोप पेमेन्ट रिकार्ड करता है और एक गैर अदायगी पत्र (नान पेमेन्ट सर्टिफिकेट) जारी करता है ।
8. क्या एजेंसी बैंकों को केन्द्रीय / राज्य सरकारों का लेन देन करने के लिए मुआवजा दिया जाता है ?
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा राज्य / केन्द्र सरकार के लेन देन करनेवाली मान्यता प्राप्त बैकों को पारिश्रमिक अदा किया जाता है । ऐसे पारिश्रामिक को एजेंसी कमिशन कहा जाता है । 1 जुलाई 2012 से एजेंसी कमीशन की दरें निम्नानुसार है /-
क्रम सं. |
लेनदेन के प्रकार |
इकाई |
दर |
1 (i) |
प्राप्तियां – भौतिक मोड |
प्रति लेनदेन |
` 50 |
(ii) |
प्राप्तियां – ई-मोड * |
प्रति लेनदेन |
` 12 |
2 |
पेंशन भुगतान |
प्रति लेनदेन |
` 65 |
3 |
पेंशन के अलावा भुगतान |
प्रति ` 100 टर्नओवर |
5.5 पैसे |
* इस संदर्भ में, यह नोट करें कि उपरोक्त टेबल में 'प्राप्तियां - ई-मोड' जोकि क्रम संख्या 1(ii) के सामने दर्शाए गए है, वे लेनदेन है जोकि धनप्रेषक के बैंक खाते से, इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से, निधि के प्रेषण के रूप में है और वे सभी लेनदेन है जिसमें नकद / लिखतों की भौतिक प्राप्ति शामिल नहीं है।
प्रत्यक्ष करों के लिए ऑन लाइन कर लेखांकन प्रणाली (ओएलटीएएस)
9. ओएलटीएएस क्या है?
यह बैंक शाखाओं के नेट वर्क के माध्यम से प्रत्यक्ष करों की प्राप्ति व भुगतान का ऑनलाईन संग्रहण, लेखा एवं सूचित करने हेतु अप्रैल 2004 में प्रारंभ की गई प्रणाली है ।
10. कौनसे बड़े बदलाव किए गए है?
ओलटास में टैक्स भुगतानकर्ता को दिया जाने वाला हिस्सा (tear off portion) सहित केवल एक प्रति चालान प्रयोग में लाया जाता है । वर्तमान में प्रयोग में 3 नए एकल प्रति चालान निम्नानुसार है :
चालान सं. आईटीएनएस 280 : यह कंपनी का आयकर (कार्पोरेशन टैक्स) और आयकर (कंपनी के अतिरिक्त) के भुगतान हेतु प्रयोग किया जाता है ।
चालान सं. आईटीएनएस 281 : यह स्रोत पर कर कटौती / कर संग्रहण (टीडीएस / टीसीएस) हेतु, प्रयोग किया जाता है । इसमे दो मुख्य शीर्ष, यथा (ए) 0020 कंपनी कटौती करवाने वालो के लिए और (बी) 0021 गैर कंपनी कटौती करवाने वालो के लिए, होते हैं ।
चालान सं. आईटीएनएस 282 : यह होटल प्राप्ति कर, उपहार कर, संपदा शुल्क, व्यय कर, संपत्ति कर एवं अन्य विविध प्रत्यक्ष करों के भुगतान हेतु प्रयोग किया जाता है ।
11. क्या टैक्स भुगतान करनेवाले को चालान की प्रति मिलती है ।
नही, उसे बैंक यूनिक चालान आईडेंटिफिकेशन नंबर (CIN) दर्शाकर चालान का भुगतान कर्ता वाला हिस्सा (tear off portion) देता है ।
12. चालान पहचान संख्या (CIN) क्या है ?
यह चालान पहचान संख्या है । यह एक विशेष संख्या है जिसमें निम्नांकित जानकारी होती है :
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टैक्स प्राप्त करनेवाली बैंक शाखा का 7 अंकीय बीएसआर कोड
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चालान जमा करने की तारीख (DD/MM/YY)
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उस शाखा में उस दिन चालान की क्रम संख्या (5 अंकीय)
आयकर विवरणी में भुगतान के सबूत के तौर पर CIN संख्या दर्शाना होता है । आगे किसी पूछताछ के लिए भी CIN दर्शाना होता है ।
13. नए चालान कैसे प्राप्त करें ?
चालान http://www.incometaxindia.gov.in वेबसाईट एवं स्थानीय आयकर कार्यालयों तथा निजी वेंडरों के पास उपलब्ध होते हैं ।
14. क्या होगा यदि रसीदी पर्ची गुम जाए ?
उस बैंक में जाएं जहां टैक्स जमा किया है । शाखा आवश्यक प्रक्रिया का पालन कर भुगतान के विवरण एवं CIN दर्शाकर एक प्रमाणपत्र जारी करेगी ।
15. क्या इंटरनेट से प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष कर का भुगतान कर सकते है ?
हां, अधिकतर बैंक अपने ग्राहकों को यह सुविधा देते हैं ।
16. OLTAS की विस्तृत प्रक्रिया को करदाता कहां से प्राप्त कर सकते है ?
http://www.incometaxindia.gov.in पर देख सकते है ।
17. बैंकों में प्रत्यक्ष कर के भुगतान की नई प्रक्रिया क्या है ?
प्राधिकृत बैंक प्रत्यक्ष कर रोकड़ या उसी शाखा पर या अन्य बैंक / शाखा पर आहरित चैक / डीडी के रूप में एकल चालान के साथ स्वीकार करते हैं । रोकड भुगतान के लिए बैंक तत्काल विशेष चालान पहचान संख्या (CIN) सहित चालान का भुगतान कर्ता वाला हिस्सा (tear off portion) ग्राहक को लौटा देता है । दूसरे बैंक / शाखा पर आहरित चैक / डीडी के साथ चालान जमा करने पर रसीदी पर्ची समाशोधन के पश्चात दी जाती है, लेकिन चालान जमा करने के दिनांक पर भुगतान कर दिया गया माना जाता है ।
18. नई प्रणाली से करदाता को क्या फायदा है ?
सर्वसामान्य करदाता के लिए नई प्रणाली बहुत लाभदायक है । पहले के चार प्रतियों वाले चालान के स्थान पर अब एकल प्रति सरलीकृत चालान प्रयोग किया जाता है । दूसरे, अपनी बैंक शाखा पर किए गए कर भुगतान की रसीद आप तुरंत प्राप्त कर सकते हैं । आगे, चालान पहचान संख्या (CIN) से युक्त रसीदी पर्ची यह सुनिश्चित करती है कि भुगतान का उचित लेखा कर लिया गया है । करदाता http://www.tin-nsdl.com पर लॉगिन करके अपनी CIN संख्या से भुगतान किए कर का विवरण देख सकते हैं (अधिक जानकारी के लिए NSDL होम पेज www.nsdl.co.in देखें)। करदाता को अब अपनी विवरणी के साथ चालान की प्रति / रसीदी पर्ची लगाने की जरूरत नही है । उसे आयकर विवरणियों में केवल CIN विवरण दर्शाना है ।
19. क्या करदाता अभी भी पुराने फार्म इस्तेमाल कर सकता है ।
नहीं, कर नए विहित चालान फार्म में ही स्वीकार किया जाता है ।
यह एफ़एक्यू भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा केवल सूचना और सामान्य मार्गदर्शन के उद्देश्य से जारी किया गया है । बैंक इसके आधार पर की गई कार्रवाई / लिए गए निर्णय के लिए जिम्मेदार नहीं होगा । स्पष्टीकरण या व्याख्या के लिए, यदि कोई हो तो, वाचक, बैंक और सरकार द्वारा समय-समय पर जारी संबद्ध परिपत्र और अधिसूचना से मार्गदर्शन प्राप्त करें । |