आरबीआई/2011-2012/269
बैंपविवि. एफएसडी. बीसी. सं. 57 /24.01.006/2011-12
21 नवंबर 2012
30 कार्तिक 1933 (शक)
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर
महोदय
इंफ्रास्ट्रक्चर ऋण निधियों (आईडीएफ) के प्रायोजक के रूप में बैंक
केंद्रीय वित्त मंत्री ने वर्ष 2011-12 के अपने बजट भाषण में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों को शुरू करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को दी जाने वाली दीर्घकालिक निधियों के प्रवाह में अब तेजी लाने एवं उसमें वृद्धि करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर ऋण निधियों (आईडीएफ) की स्थापना करने की घोषणा की थी । तदनुसार, सरकार ने 24 जून 2011 के अपनी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से प्रस्तावित इंफ्रास्ट्रक्चर ऋण निधि की व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत की है । आईडीएफ की स्थापना म्यूचुअल फंड (एमएफ) अथवा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के रूप में की जा सकती है । जहां आईडीएफ -एमएफ का विनियमन सेबी (सेबी ने एमएफ विनियमावली में अध्याय VI - आ जोड़कर आईडीएफ-एमएफ के लिए विनियामक ढांचा प्रस्तुत करने के लिए एमएफ विनियमावली में संशोधन किया है) द्वारा किया जाएगा वहीं आईडीएफ एनबीएफसी का विनियमन भारतीय रिज़र्व बैंक करेगा । भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी 23 सितंबर 2011 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है जिसमें आईडीएफ की स्थापना करने के लिए बैंकों तथा एनबीएफसी के लिए व्यापक मापदंड दिए गए हैं । आईडीएफ -एनबीएफसी से संबंधित विस्तृत विनियमावली 21 नवंबर 2011 के हमारे परिपत्र सं. डीएनबीएस. पीडी. सीसी. सं.249/03.02.089/2011-12 में निहित है ।
2. इस संबंध में हम सूचित करते हैं कि अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन से आईडीएफ-एमएफ तथा आईडीएफ-एनबीएफसी के प्रायोजक के रूप में निम्नलिखित शर्तों के अधीन कार्य करने की अनुमति होगी :
2.1 आईडीएफ-एमएफ का प्रायोजक
बैंक आईडीएफ-एमएफ के प्रायोजक के रूप में कार्य कर सकते हैं बशर्ते वे इस संबंध में सेबी के विनियमों का पालन करें ।
2.2 आईडीएफ-एनबीएफसी का प्रायोजक
आईडीएफ-एनबीएफसी के प्रायोजक के रूप में कार्यरत बैंक की आईडीएफ-एनबीएफसी में न्यूनतम 30 प्रतिशत और अधिकतम 49 प्रतिशत ईक्विटी की हिस्सेदारी होगी । चूंकि बैंककारी & विनियमन, 1949 की धारा 19(2) के अनुसार कोई बैंक तब तक किसी कंपनी की चुकता शेयर पूंजी के 30 प्रतिशत से अधिक शेयर धारित नहीं कर सकता जब तक वह कोई अनुषंगी संस्था न हो इसलिए गुण-दोष के आधार पर रिज़र्व बैंक आईडीएफ-एनबीएफसी की ईक्विटी में 30 प्रतिशत से अधिक तथा 49 प्रतिशत तक निवेश करने के लिए उक्त अधिनियम की धारा 19 (2) के उपबंधों से छूट देने के लिए (अर्थात् उक्त अधिनियम की धारा 53 के अंतर्गत) सरकार से सिफारिश करेगा ।
2.3 म्यूचुअल फंड (एमएफ) तथा एनबीएफसी दोनों संरचनाओं के अंतर्गत आईडीएफ के प्रायोजक के रूप में कार्य करने के लिए बैंकों पर लागू होने वाली सामान्य शर्तें
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किसी एक आईडीएफ-एमएफ तथा एनबीएफसी की ईक्विटी में किसी बैंक का निवेश बैंक की चुकता शेयर पूंजी तथा आरक्षित निधियों के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए ।
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अनुषंगी कंपनियों, वित्तीय सेवा कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं, शेयर तथा अन्य बाजारों में कुल मिलाकर किसी बैंक का निवेश बैंक की चुकता शेयर पूंजी और आरक्षित निधियों के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए तथा इस सीमा के अंतर्गत प्रायोजक के रूप में आईडीएफ में बैंक का निवेश भी शामिल है ।
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प्रायोजक के रूप में चुकता पूंजी में अंशदान के रूप में आईडीएफ- (एमएफ तथा एनबीएफसी) में बैंक का एक्सपोज़र उसके पूंजी बाजार एक्सपोज़र का भाग होगा और उसे इस संबंध में निर्दिष्ट विनियामक सीमाओं के भीतर होना चाहिए ।
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बैंकों के पास अपने संपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर एक्सपोज़र के लिए अपने बोर्ड द्वारा निर्धारित स्पष्ट नीतियां तथा सीमाएं होनी चाहिए जिसमें आईडीएफ - (एमएफ तथा एनबीएफसी) के प्रायोजक के रूप में उनका अपना एक्सपोज़र भी शामिल होना चाहिए ।
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आईडीएफ-(एमएफ तथा एनबीएफसी) को निवेश आंमत्रित करते समय अपनी परिचय-पुस्तिका/ऑफर दस्तावेज में यह सूचना प्रकट करनी चाहिए कि बैंक की देयता प्रायोजित करने की अनुमति चुकता पूंजी में उसके अंशदान तक ही सीमित है ।
3. आईडीएफ (एमएफ/एनबीएफसी) प्रायोजित करने के इच्छुक बैंक प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, 12वीं मंज़िल, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई - 400001 को अपना आवेदन भेज सकते हैं ।
भवदीय
(मुरली राधाकृष्णन)
मुख्य महाप्रबंधक |